Jammu Kashmir Local Authorities eid prayers disallowed at srinagars jama masjid for 6th time since 2019

Jammu Kashmir Local Authorities eid prayers disallowed at srinagars jama masjid for 6th time since 2019


ईद उल अज़हा 2024: जम्मू-कश्मीर में आज ईद-उल-अजहा का त्योहार धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। शांति और समृद्धि के लिए नमाज अदा करने के लिए भारी संख्या में लोग मस्जिदों और ईदगाहों में एकत्रित हुए। इस बीच श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में इस साल भी ईद की नमाज़ नहीं पढ़ी गई।

श्रीनगर में स्थित जामा मस्जिद का प्रबंधन करने वाले अंजुमन औकाफ ने कहा कि प्रशासनिक गड़बड़ी के कारण नमाज पढ़ने के निर्धारित समय पर उनका प्रयास विफल हो गया। अंजुमन औकाफ ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने लगातार छठे साल सोमवार को श्रीनगर स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद में ईद की नमाज पढ़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

पुलिस ने ईद की नमाज मस्जिद में अदा करने की इजाजत नहीं दी

इस दौरान श्रीनगर की जामा मस्जिद के प्रबंधक अंजुमन औकाफ का कहना है कि आज फज्र की नमाज के बाद पुलिस कर्मियों ने श्रीनगर स्थित जामा मस्जिद के द्वार बंद कर दिए और औकाफ को सूचित किया कि सुबह नौ बजे होने वाली ईद की नमाज मस्जिद में अदा करने की उपेक्षा नहीं की जाएगी. उन्होंने दावा किया कि ईद का उपदेश देने वाले मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया गया है।

2019 से जामा मस्जिद और ईदगाह में नमाज़ पर लगी है रोक

बता दें कि, स्थानीय प्रशासन और जम्मू कश्मीर पुलिस ने वर्ष 2019 में कश्मीर से आर्टिकल 370लाह के बाद से ही श्रीनगर की जामा मस्जिद और ईदगाह में ईद की नमाज़ पढ़ने पर रोक लगा दी है। इसके चलते हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता उमर फारूक ने जामा मस्जिद में नमाज अदा करने की इजाजत नहीं दी है और मुसलमानों की धार्मिक आजादी का उल्लंघन करने का फैसला किया है।

ईद-उल-अजहा अन्य मस्जिदों में बिना किसी बाधा के मनाया गया

हालांकि, जम्मू-कश्मीर की दूसरी अन्य स्थानीय मस्जिदों में बिना किसी आधार के ईद-उल-अजहा का त्योहार उल्लास के साथ मनाया गया। जहां पर उपदेशों और ‘अल्लाहु अकबर’ की गूंजते नारों के बीच नमाजियों ने कश्मीर घाटी की शांति, सुरक्षा के लिए प्रार्थना की। ईद-उल-अजहा का त्योहार पैगम्बर इब्राहिम द्वारा अल्लाह के आदेश पर उनके बेटे इस्माइल की बलि देने की इच्छा के लिए मनाया जाता है। जहां पर मुस्लिम समाज के लोग इस पर्व को जानवरों की बलि देकर इस परंपरा का पालन करते हैं। ईद की नमाज के बाद कश्मीर भर में लोग जानवरों की कुर्बानी का हिस्सा लेने के लिए घर लौट आए।

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