सीएम योगी आदित्यनाथ का दिल्ली दौरा: उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार (तीन नवंबर, 2024) दिल्ली दौरे पर। राष्ट्रीय राजधानी में नरेंद्र मोदी उनकी मुलाकात हुई, इसके बाद वह बीजेपी प्रमुख और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ मिले। मोदी और सीएम योगी के बीच फर्जीवाड़े के बारे में करीब एक घंटे तक बात हुई।
सीएम योगी आदित्यनाथ का यह दौरा ऐसे वक्त में हुआ, जब राज्य की नौ सीटों पर कुछ समय के लिए उप-चुनाव हुआ। उसी दिन ऊपर से हमला हुआ, जब उन्हें अज्ञात की ओर से जान से मारने की धमकी भी मिली। इस दौरे की साज-सज्जा राज्य में मीरापुर (मुजफ्फरनगर), कुंदरकी (मुरादाबाद), गाजियाबाद, खैर (अलीगढ़), करहल (मैनपुरी), सीसा मऊ (कानपुर), फूलपुर (प्रयागराज), कटहरी (अंबेडकर नगर) और मंझवां में बढ़ी है। (मिर्जापुर) में विशाल हो रहे हैं लेकिन प्वाइंट गलियारों में इस मुलाकात के संदर्भ में एक और दस्तावेज जारी किया गया है।
दिल्ली आने की क्या है वजह?
वरिष्ठ पत्रकार आलोक त्रिपाठी ने एबीपी न्यूज पर फोन कर सीएम योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे की वजह बताई। उन्होंने कहा, “सुबे में सोलोमन का साम्राज्य है इसलिए दिल्ली गए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए गठबंधन का अहम हिस्सा बन गया है। समाजवादी पार्टी के गठबंधन वाले चुनाव में टिकी हुई हैं। जिस तरह के नामांकन में बीजेपी को यूपी में नुकसान हुआ है।” , ये सब बातें ध्यान में रखते हुए सीएम योगी को दिल्ली दरबार में बुलाया जाएगा, जिस तरह बताएँगे तो कटेंगे का नारा दिया गया और एक पॉजिटिव रोमान्टिक बना उसे भी मंत्र देकर दिल्ली आ सकते हैं।”
इस बीच यूपी की विश्वसनीयता पर नजर रखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट रतनमणि लाल की राय अलग हैं। वह कहते हैं, “बहुत ठीक नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ के आश्रमों पर चर्चा के लिए दिल्ली के अतिथि हों। इसके पीछे का तर्क यह है कि आश्रम को लेकर सारी रणनीतियां पहले ही तय हो चुकी हैं। सभी भक्तों के नाम घोषित किए गए हैं।” यूपी के मुखिया के दिल्ली आने की वजह कुछ और है। इसके अलावा पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव होना है और योगी आदित्यनाथ दल के बड़े नेता एक हैं राज्य के सबसे बड़े सीएम हैं तो पार्टी किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें बुला सकती है। राज्य में कुछ वक्त पहले हुई हिंसा या हवाईअड्डे में लगातार धमकियां मिलने की भी एक वजह हो सकती है हो सकता है लेकिन पिरामिड का सबसे बड़ा पिरामिड पर है।”
केशव प्रसाद मौर्य के साथ ‘खटपट’ के लिए दिल्ली तलब?
यूपी में दावा किया जा रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच बात नहीं बन रही है. दिल्ली से लखनऊ तक का दौरा हुआ। कुछ ऐसी ही बैठकें हुईं जिसमें मुख्यमंत्री तो चले गए लेकिन दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य नहीं गए। रिपोर्ट के अनुसार मनमुताव को लेकर तब मामला ठंडा पड़ गया था। वरिष्ठ पत्रकार आलोक त्रिपल ने आगे बताया, “चुनाव यूपी में जिस तरह का सम्राट बना और केशव मौर्य दिल्ली गए, उसके बाद के नतीजे योगी आदित्यनाथ भी गए दिल्ली थे. अब संभव है कि इस मामले के लिए प्लाज्मा से पहले भी योगी जी दिल्ली गए हों। क्योंकि काजल में यह संभावना दी गई थी कि यूपी की सूची में इसके आधार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।”
रतनमणि लाल की इस कंपनी की राय थोड़ी अलग है। उनका कहना था, “केशव मौर्य के साथ खटपट एक वाजिब वाजिब है, लेकिन इस मामले में तो पैमाने के बाद कोई बात नहीं हो सकती। आज की तारीख में योगी जी का उत्तर प्रदेश में जो कद है। देश भर में उनका महत्व है।” जिस तरह के चुनाव जिताने में उनकी एक अलग भूमिका बनी हुई है। अब केशव प्रसाद जो पार्ट में सामने आए हैं जब बीजेपी में यूपी में सफलता न मिली हो सकता है लेकिन अभी भी स्केल का प्रचार चल रहा है इसलिए मुझे लगता है कि केशव मौर्य मामले का परिणाम अभी भी स्केल के बाद नहीं आया है।
ये भी पढ़ें: ‘बाहर से हिंदुस्तान में नहीं आए मुसलमान’, मौलाना अरशद मदनी का दावा, बीजेपी का नाम ले कही ये बात!