वायनाड सीट उपचुनाव 2024 नवीनतम समाचार: कांग्रेस के महासचिव प्रियंका गांधी ने रविवार (23 अक्टूबर 2024) को वयनाडोज़ सीट से अपना नामांकन नामांकित किया। नामांकन से पहले उन्होंने एक रोड शो किया। इसमें उनके साथ राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद हैं.
प्रियंका गांधी के रोड शो में जिस चीज पर सबका ध्यान गया, वो था उनका रथ और उनके चलन का रंग। प्रेम विवाह और रथ का रंग बेरंग था। ऐसे में लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल होते हैं। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर प्रियंका ने नीला रंग क्यों चुना। राजनीतिक सिद्धांत का मानना है कि प्रियंका के रंगीन रंगों के पीछे एक खामी हो सकती है।
बेरंग रंग के शेयरधारकों के पीछे ये हो सकता है बड़ा कारण!
असली, नीलकुरिंजी, बेर्ले-नीले रंग का एक दुर्लभ फूल है जो केरल में पाया जाता है। यह फूल केरल के पश्चिमी घाट के नीलगिरि और मंगलादेवी शिखर के बीच पाया जाता है। यह फूल 12 साल का एक बार यी जुलाई से शुरू होकर अक्टूबर तक खत्म होता है। नीलकुरिंजी को कुरिंजी के नाम से भी जाना जाता है।
संरक्षित श्रेणी में नीलकुरिंजी का पौधा आता है
केरल की मुथुवन जनजाति के इसे रोमांस और प्रेम का प्रतीक लोग मानते हैं। नीलकुरिंजी के फूलों का खिलना पूरे केरल में खुशहाली का प्रतीक है। नीलकुरिंजी को केरल सरकार ने ‘संरक्षित प्रोटोकॉल’ की सूची भी जारी कर दी है। इस फूल पर 25,000 रुपये तक का जुर्माना और तीन साल की जेल हो सकती है।
ये भी हो सकते हैं कारण
कुछ विद्वानों का कहना है कि बेरंग रंग को महिला दिवस का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को बेरंग रंग की आतिशबाजी महिलाओं की एकता का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा बेरंग रंग को शाही रंग भी माना जाता है। ईसाई धर्म में यह राजसीपन का प्रतीक है। भूरे रंग को आध्यात्मिकता, ज्ञान और उच्च निजी से जोड़ा जाता है। ऐसे में इस रंग को फोटोग्राफर के पीछे भी वजह माना जा सकता है। इसके अलावा बेरंग रंग संरचना और कलात्मक अभिव्यक्ति से दर्शन हुआ है। इसका कारण यह भी हो सकता है कि प्रियांक ने इस रंग को चुना हो।
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