कांग्रेस चुनाव के परिणाम के बाद से उत्तर प्रदेश की राजनीति में गजब बदलाव देखने को मिल रहा है। 80 के दशक के नारा देकर चुनाव में उतरी भाजपा को समाजवादी पार्टी ने ऐसा झटका दिया कि लखनऊ से दिल्ली तक चिंतन, मनन और समान का ढांचा शुरू हो गया।
कांग्रेस चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद भी भाजपा उभरी नहीं थी कि एक और परेशानी सर पर खड़ी हो गई। वह उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले हैं। जो राहुल डांस में देखने को मिले, उसका प्रभावशाली व्यूज में भी क्या देखने को मिलेगा? सबसे बड़ा सवाल अभी भी यही है.
चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि 10 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में एनडीए और भारतीय गठबंधन दोनों के लिए ही परीक्षा देखी गई है। भारत में अगर कांग्रेस-सपा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं तो देखना होगा कि क्या सपा दो सीटें कांग्रेस को देने को तैयार है। अगर ऐसा है तो 2027 में भारत गठबंधन उन्नति से बढ़ेगा।
वहीं चुनावी विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यदि भारत गठबंधन कांग्रेस को सीट देने से आनाकानी करती है तो दोनों के बीच मतभेद पैदा होंगे, जो 2027 में साथ मिलकर लड़ाई के दावे को कमजोर कर देंगे।
विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हुई है। अखिलेश यादव के लिए यह साबित करने का मौका है कि उत्तर प्रदेश में हवा बदली है तो वहीं योगी आदित्यनाथ के लिए भी चुनौती है। वह ये साबित करना चाहते हैं कि यूपी को योगी मॉडल पसंद है।
यूपी में हुए लोकसभा चुनाव में दो लड़कों ने धमाकेदार प्रदर्शन किया। 80 में से 37 साइड समाजवादी पार्टी के खाते में गई तो 6 साइड कांग्रेस के खाते में। अब देखना यह है कि क्या ठीक ऐसी ही परफॉरमेंस ये दोनों लड़के 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले मतदान में देगें। यदि अभी भी सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन में पेंच फंसा हुआ है।
जिन 10 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ये सीटें हैं फूलपुर, मझवा, सीसीमू, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कुंदरकी, गाजियाबाद, कटेहरी और खैर विधानसभा सीटें।
प्रकाशित समय : 28 जून 2024 10:07 AM (IST)