Remove Or Reduce GST On Digital News Subscriptions, I&B Secy Asks FinMin. Here’s Why

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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आई एंड बी) ने वित्त मंत्रालय से डिजिटल समाचार सदस्यता पर लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, 22 जुलाई को लिखे पत्र में सूचना एवं प्रसारण सचिव संजय जाजू ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ​​से अपील की है कि या तो इन सदस्यताओं पर जीएसटी खत्म कर दिया जाए या इसे मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया जाए।

जाजू ने कथित तौर पर इस बात पर प्रकाश डाला कि पारंपरिक समाचार पत्रों को जीएसटी से छूट दी गई है, नागरिकों को सटीक और तथ्यात्मक जानकारी प्रदान करने के महत्व का हवाला देते हुए। उन्होंने बताया कि 2018 में भी इसी तरह का समायोजन किया गया था जब जीएसटी परिषद ने ई-पुस्तकों पर कर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया था, जिससे मुद्रित पुस्तकों और उनके डिजिटल समकक्षों के बीच असमानता दूर हो गई थी।

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उच्च जीएसटी से ऑनलाइन समाचार की वृद्धि बाधित हो सकती है

पत्र में चिंता व्यक्त की गई कि डिजिटल समाचार पर उच्च जीएसटी दर ऑनलाइन समाचार क्षेत्र के विकास को बाधित कर सकती है, तथा इसे विज्ञापन-आधारित मॉडल की ओर धकेल सकती है।

जाजू ने तर्क दिया कि इससे क्लिकबेट, सनसनीखेज और भ्रामक जानकारी के प्रसार जैसी प्रथाओं के माध्यम से ऑनलाइन समाचार की गुणवत्ता और विश्वसनीयता से समझौता हो सकता है।

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कम जीएसटी से उद्योग को मदद मिल सकती है

जाजू ने आगे कहा कि भारत में ऑनलाइन समाचार उपभोक्ताओं की कुल संख्या की तुलना में भुगतान वाले डिजिटल समाचार ग्राहकों की कम संख्या को देखते हुए, कम जीएसटी दर इस उभरते उद्योग को समर्थन दे सकती है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल समाचार सदस्यता के लिए कर की दर को मुद्रित समाचार पत्रों और ई-पुस्तकों के समान करना एक उचित कदम होगा, विशेष रूप से भारत में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच को देखते हुए।

जाजू के अनुसार, लगभग 120 करोड़ रुपये मूल्य का डिजिटल न्यूज़ सब्सक्रिप्शन उद्योग वर्तमान में 18 प्रतिशत जीएसटी दर पर लगभग 21.6 करोड़ रुपये का कर राजस्व उत्पन्न करता है। उन्होंने तर्क दिया कि जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत करने या इसे पूरी तरह से हटाने से सरकार को कोई खास राजस्व हानि नहीं होगी।



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