प्रशांत किशोर जन सुराज लॉन्च: पॉलिटिकल एनालिस्ट से नेता बने प्रशांत किशोर आज अपनी पार्टी जन सूरज लॉन्च कर दी। अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए पीके अपनी जन सूरज पद यात्रा जारी रखें। इस बीच यह पता चलेगा कि पार्टी की बैकबोन यानी प्रमुख चेहरे कौन होंगे। कैसे होगा पार्टी से अलग हटकर अपनी जगह और जगह?
प्रशांत किशोर कह चुके हैं कि उनकी पार्टी जन सुराज में हर वर्ग के नेता और कार्यकर्ता जुड़ेंगे। पार्टी में शिक्षित लोगों को भी शामिल किया गया है। इसके तहत अब तक 100 से भी अधिक लोग पूर्व रिसाल्ट और डीएटी अधिकारी जन सूरज से जुड़े हुए हैं। अगर पार्टी के बड़े नेताओं की बात हो तो केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके आईपी यादव, भाजपा के पूर्व सांसद पूर्णमासी राम जुड़े हुए हैं। उन्हों के साथ रहने वाले मनोज भारती पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष बने हैं। जूनियर नेटरहाट से अपनी पढ़ाई पूरी तरह से इसके बाद कानपुर और दिल्ली से एमटेक की।
जन सुराज पार्टी का समर्थन करें तो पार्टी गरीब, रोजगार और पलायन की बात लेकर जनता के बीच जा रही है।
रोजगार के लाभ के लिए पलायन को रोकें
प्रशांत किशोर पलायन पर रोक लगाने के लिए रोजगार के बारे में भी बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को 10-12 हजार तक का रोजगार बिहार में ही मिलेगा। इसके लिए उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं है। केवल रोजगार बल्कि गरीबों के लिए पेंशन की राशि भी मांगी जाएगी।
पंचायत पर फोकस
प्रशांत किशोर अपना फोकस गांव पंचायत की पर कर रहे हैं। बिहार के सबसे अधिक जनसंख्या वाले गांव बस्ती में प्रशांत किशोर का फोकस गांव की पंचायत पर है। उनका कहना है कि उन्होंने बिहार की सभी 8500 पंचायतों से होते हुए पदयात्रा की और अपने विकास की पहल को मूर्त रूप दिया।
फ़ैन्सी के रिवाइवल
पीके ने बिहार में बंद मुनाफों के रिवाइवल की भी बात कही है. उनका कहना है कि बिहार के विकास के लिए अगले साल फरवरी तक उनकी पार्टी के रोड प्रॉजेक्ट और इसके लिए 10 इकोनोमी जारी हैं. नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के पास समुद्र नहीं है इसलिए उन्हें आलू और बालू से ही काम चलाना होगा. नीतीश कुमार ने किस बात पर तंज कसते हुए पीके ने कहा था कि बिहार में खेती के खेत तो फिर चीनी मील क्यों बंद हैं।
शिक्षा को शराबबंदी से जोड़ा
पैसिफ़िक टीनएजर्न शराबबंदी को लेकर काफी मुख्य है। उनका कहना है कि जैसे ही उनकी सरकार 15 मिनट के अंदर शराबबंदी खत्म कर देगी। उनका कहना है कि शराब से होने वाली आय को लेकर शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। पीके का यह भी कहना है कि भले ही उनकी शराबबंदी वाली बातें महिलाओं को पसंद नहीं आईं और उन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया, लेकिन वह गलत नहीं बोलेंगे।
क्यों होगी चुनौती?
पीके की जन सूरज ऐसे समय में अस्तित्व में है, जब यहां पहले से ही कई राजनीतिक दल जमीन पर अपनी पकड़ मजबूत कर चुके हैं, जैसे कि वामपंथी यादव की राष्ट्रीय जनता दल, नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड), और भाजपा राष्ट्रीय जैस उपकरण भी यहां पर हैं। ऐसे में पीके के लिए अपनी पकड़ मजबूत बनाना बड़ी चुनौती होगी।
जातीय राजनीति
बिहार की राजनीति से बायबैक है। हर जाति की एक-एक पार्टी है. जैसे कि मुलायम यादव की पार्टी यादव और राजकुमारी की है, नीतीश कुमार की पार्टी कुर्मी और कुशवाहा की है, मुकेश सहनी की पार्टी निषाद समाज के लिए है। ऐसे में प्रशांत किशोर के लिए इन सभी राक्षसों के कोर मतदाताओं को अपने पक्ष में लाना भी एक बड़ी चुनौती होगी।
महिला वोटरों को साधना
महिला वोटरों को अपनी ओर लेकर आने वाली प्रशांत किशोर के लिए बड़ी चुनौती होगी। जैसा कि की पीक का कहना है कि वह शराबबंदी को खत्म कर चुकी हैं ऐसे में महिला वोटर का नामोनिशान मिट सकता है। बिहार में नीतीश कुमार को महिला वोट बैंक का समर्थन इसलिए मिला है क्योंकि वह शराबबंदी की बात करते हैं।
बकियों से अलग कैसी है पार्टी?
प्रशांत किशोर की शुरुआत से यह कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी बाकी राजनीतिक व्यवस्थाओं से अलग होगी, जिसका फोकस हर वर्ग के लोगों पर और हर क्षेत्र के लोगों पर होगा। पार्टी अपने साथ सामान्य लोगों से बड़े लेकर-बैठक पूर्व अवसर और समाज सेवकों को जोड़ रही है। इतने ही नहीं अन्य आश्रमों के आचार्य और कार्यकर्ता भी पार्टी से जुड़ रहे हैं।
जनता के बीच विश्वसनीयता
बिहार में नीतीश कुमार का नामांकन और कुलीन यादवों का दबदबा बहुत पुराना है और उनकी विश्वसनीयता भी काफी ज्यादा है। लोग अपने वफादार पर भरोसा करते हैं, लेकिन प्रशांत कुमार की पार्टी अभी भी मैदान में कोई खिलाड़ी नहीं है, ऐसे में जगह बनाना और लोगों का भरोसेमंद जीतना भी एक बड़ी चुनौती होगी।