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Maharashtra Election Results 2024 MNS And Shiv Sena UBT Defeat Will Uddhav Thackeray And Raj Thackeray Can Come Together To Save Bal Thackeray Legacy - Supreme News247

Maharashtra Election Results 2024 MNS and Shiv Sena UBT defeat will Uddhav Thackeray and Raj Thackeray can come together to save Bal Thackeray legacy

Maharashtra Election Results 2024 MNS and Shiv Sena UBT defeat will Uddhav Thackeray and Raj Thackeray can come together to save Bal Thackeray legacy


महाराष्ट्र चुनाव के सबूत में जिस तरह से महायुति ने सफाई की है, वह है। टिकर परिवार की राजनीतिक विरासत को खतरे में डाल दिया गया है। युसुथ से ये साफ हो गया है कि न केवल महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे का राजनीतिक रसूख खत्म हो गया है बल्कि युसुथ ठाकुर भी अपने पिता के बनाए राजनीतिक साम्राज्य को साझा नहीं कर पाए हैं। ऐसे में सवाल है कि परिवार के हिस्से से कौन वोट कट गया या वो एक बार फिर से सेफ हो सकता है। यानी कि सवाल ये है कि क्या बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत को राज ठाकरे और गठबंधन के नेता फिर से एक हो सकते हैं या फिर अब असली नेता प्रतिपक्ष का जो थप्पा एक नाथ शिंदे ने अपने कंधे पर ले लिया है, वो हमेशा-हमेशा के लिए अमित हो गया है.

सेविका के संस्थापक बाल ठाकरे ने जब अपने बेटे यूसुफ़ टाकर को अपने पद पर बैठाने की बात शुरू की तो ग्राहक राज ठाकरे नाराज हो गए और इस बात से नाराज हो गए कि बाल ठाकरे के रहने से ही वो परिवार से अलग हो गए। अपनी पार्टी बनाई और नाम रखा महाराष्ट्र नव निर्माण सेना अर्थात मनसे। 2006 में पार्टी बनने के बाद साल 2009 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ तो मनसे को कुल 13 चरणों में जीत मिली थी। 2014 में राज ठाकरे ने दो डिविजनल टिकटें खरीदीं। 2019 में शुरुआती संख्या में एक हो गए और 2024 में तो राज़ तारा जीरो हो गए। नेताओं की तो बात ही छोड़ दीजिए, राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकुर भी अपने पहले ही चुनाव में हार गए।

युथ टेकर के साथ भी कुछ बेहतर नहीं हुआ. 2019 में बीजेपी के साथ सामूहिक चुनाव लड़ने वाले उभय ठाकुर ने मुख्यमंत्री बनने के लिए बीजेपी का साथ क्या छोड़ा, पूरी पार्टी ने ही उप्र को समर्थन दिया। जैसे ही एकनाथ शिंदे को मौका मिला, उन्होंने पार्टी तोड़ दी और बीजेपी के साथ चले गये. वो ना सिर्फ मुख्यमंत्री बने बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पूरी राजनीति ही खत्म हो गई। 2024 में तो एकनाथ शिंदे ने यह भी साबित कर दिया कि उनकी असली पार्टी और उत्तराधिकारी एकनाथ शिंदे नहीं हैं।

ऐसे में अब पांच साल तक राज ठाकरे और युवा नेता दोनों को एक ही तरह के नतीजे से संतोष करना होगा। अगर उन्हें बाल ठाकरे की विरासत बचानी है, फिर से महाराष्ट्र में शिवसेना की विरासत बचानी है, फिर से खुद को साबित करना है तो शायद उनकी एकजुटता ही मदद कर सकती है। अंतिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये भी कहते हैं कि एक हैं तो सेफ हैं. परिवार एक है तो अल्पसंख्यक विरासत भी सुरक्षित रहेगी, बाकी तो पार्टी और परिवार के हिस्से आने वाले उम्मीदवार-शिवसेना-मनसे के वोट कैसे कटे हैं, 2024 के विधानसभा चुनाव का नतीजा गवाह है।

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