महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन के सदस्य मनोज जरांगे पाटिल ने आंदोलन को और उग्र करने का ऐलान कर दिया है। राज्य के डिप्टी बीएमडब्लू संगीतकार और भाजपा, पाटील के मुख्य पद पर हैं। इस पर सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन की ताकत में मनोज जरांगे पाटिल अपनी राजनीतिक जमीन को आगे बढ़ा रहे हैं।
इंटरैक्टिव गैलरियों में इस बात की चर्चा इस बात पर है कि स्ट्रेंथ स्ट्रेंथ नेशनल मूवमेंट को और उग्रवादी बनाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है और टूल मसायल की मित्रता भी शुरू हो गई है। यह चर्चा तब और तेज हो गई जब दिल्ली में औषध ठाकुर और राहुल गांधी की मुलाकात हुई। महाराष्ट्र के लोकतंत्र और सत्ता पक्ष के लिए यह आंदोलन एक बड़ी चुनौती बन सकता है और उनकी राजनीतिक राजनीति भी एक खतरा साबित हो सकती है।
बिज़नेस पार्टनर पर क्यों?
पिछले साल दिसंबर से ही मनोज ज़रांगे पाटिल ने पारंपरिक नामांकन का काम शुरू किया था। कहा जाता है कि पाटिल को कई नेताओं की सुरक्षा प्राप्त होती है। इसी बीच, शिंदे और शरद शरद के बीच हुई हाल की मुलाकातों ने इस चर्चा को बल दिया। जिस तरह से नेटफ्लिक्स ने पुराने जमाने की पार्टी से टूटे हुए धड़ों को साथ में स्थापित किया है। वो युथ स्टार और शरद सुपरस्टार के लिए भी मशहूर कलाकार ही आंख की किरकिरी बने हुए हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि मनोज जरांगे पाटिल सिर्फ उन्हें ही क्यों उत्पाद बना रहे हैं, जबकि प्लास्टिक सरकार में तीन बिल्डर के नेता शामिल हैं, लेकिन उन नेताओं के नाम तक नहीं बताए गए हैं। इस प्रश्न में सत्य की एक राजनीतिक साजिश की ओर इशारा किया गया है।
उद्योग के पीछे से कौन कर रहा है समर्थन?
महाराष्ट्र की राजनीति में करीब 6 महीने पहले कुछ राजनीतिक नेताओं की चर्चाएं भी का विषय बनी हुई हैं। इसी बैठक में नेशनल मूवमेंट को समर्थन देने की रणनीति बनाई गई। शरद रेवेरे के अविश्वासियों के नेता और विधायक राजेश टोपे पर पहले ही मध्य प्रदेश में पूर्वोत्तर आंदोलन को सहायता उपलब्ध कराने का आरोप लगाया गया है।
शरद के विश्वासपात्र रहे छगन भुजबल ने यह भी आरोप लगाया है कि अभिनेता और उनके पद पर रोहित अख्तर ने राजेश टोपे के साथ मिलकर ज़रांगे संगीतकार के साथ आंदोलन शुरू करने के लिए फिर से आंदोलन शुरू किया था। मराठा आंदोलन की सभा का आयोजन किया गया और उसके लिए संसाधन सामग्री लेकर आए, जिसमें राजेश टोपे के करीबी भी उंगली उठा रहे हैं।
चुनाव से पहले वनस्पति की मूल बातें
मनोज जरांगे की ओर से संगीतकारों के दिग्गजों पर हमले किए जा रहे हैं और शरद पवार और अन्य दिग्गज नेताओं के समर्थन ने जगह के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। प्रशांत ने निर्वाची पर आरोप लगाया है कि वह नागालैंड के मुद्दे को नैतिकता से नहीं ले रहे हैं और यह बात नागालैंड समुदाय में उनकी प्राथमिकता को कम कर रही है। यदि मराठा आंदोलन ने जोर पकड़ लिया, तो यह फेडसस के राजनीतिक वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ा संकट साबित हो सकता है।