पोल 2024 परिणाम: चुनाव के बाद हुए देश के अलग-अलग राज्यों के कुल 13 विधानसभा सीटों पर 10 सीटों पर भारत ब्लॉक के घटक दलों में से 2 पर भाजपा को तो एक सीट पर वैलेंटाइन उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। इस तरह से इंडी गठबंधन के सभी घटक दलों के नेताओं की तरफ से इस पर प्रतिक्रिया आ रही है और सभी इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि जनता का भरोसा इंडी गठबंधन पर बढ़ा है और उन्होंने भाजपा को नकार दिया है।
कांग्रेस नेता और लोकसभा में एलओपी राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर लिखकर जीत हासिल की है। उन्होंने लिखा, ”सात राज्यों में हुए चुनावों के नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा द्वारा ‘भय और भ्रम’ का जाल टूट चुका है। किसान, बिजली, मजदूर, व्यापारी और रोजगार जैसे मुद्दों पर हर वर्ग तानाशाही का समुच्चय नाश कर न्याय का राज स्थापित करना चाहता है। अपने जीवन की बेहतरी और संविधान की रक्षा के लिए जनता अब पूरी तरह से इंडी गठबंधन के साथ खड़ी है। जय हिंदुस्तान, जय संविधान.”
गीता की स्थिति में अच्छा महसूस करने के अलावा कुछ नहीं
इसी तरह लेकर भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कांग्रेस और इंडी गठबंधन के अन्य दलों के नेताओं को जवाब दिया है। अमित मालवीय ने इस पोस्ट में लिखा है। इन नतीजों में इंडी एलायंस की जीत की स्थिति में किसी भी तरह का अच्छा अनुभव करने के प्रयास के अलावा कुछ नहीं है।
जश्न जैसा तो कुछ नज़र नहीं आ रहा
उन्होंने आगे लिखा कि इस नतीजे पर इंडी गठबंधन और खासकर कांग्रेस के नेता जश्न मना रहे हैं। लोगों में तो ऐसा कुछ भी नज़र नहीं आ रहा है. उन्होंने देश के अलग-अलग राज्यों के कुल 13 विधानसभा सीटों का पूरा लेखा-जोखा इस पर पोस्ट किया है।
उन्होंने सवाल भरे लहजे में लिखा कि क्या इंडी गठबंधन की जीत का जश्न मना रही है? ऐसी क्या ख़ुशी मिली है उन्हें?
बंगाल के चुनावों में पूरी तरह से धांधली हुई है- अमित मालवीय
बंगाल में 4 सीटों पर पूरी तरह धंधली हुई। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान की कोई झलक वहां नहीं दिखी। कुछ सीटें पर कांग्रेस ने टीएमसी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। क्या यह इंडी गठबंधन की जीत है या टीएमसी द्वारा मतदाताओं को डराने और राज्य सरकार का दुरुपयोग करने जैसा लग रहा है? अच्छे आचरण की कमी के कारण टीएमसी को चार में से दो मुद्दों पर पूर्व भाजपा के हमलों को मैदान में उतारना पड़ा।
हिमाचल में तो कांग्रेस की सरकार
बात हिमाचल प्रदेश की करें तो यहां 3 सीटों पर चर्चा हुई। यहां कांग्रेस सत्ता में है. लेकिन, भाजपा ने हमीरपुर सीट जीत ली। नालागढ़ और देहरा में कांग्रेस की जीत हुई। कांग्रेस को निराश होना चाहिए क्योंकि वे सत्ता में होने के बावजूद तीनों को नहीं जीत सकते
बद्रीनाथ सीट पर बारी बारी से चलती है जीत हार का स्वरूप
वहीं उत्तराखंड में हुए दो सीटों पर बद्रीनाथ सीट पर गौर करें तो यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच बारी-बारी से जीत-हार का स्वरूप चलता रहता है। 2012 (कांग्रेस), 2017 (बीजेपी), 2022 (कांग्रेस) और अब 2024 में कांग्रेस ने सीट बरकरार रखी है। कांग्रेस विधायकों के दलबदल करने के कारण चुनाव की यहां जरूरत है। इसका जश्न मनाने वाली क्या बात है? मंगलौर की सीट से कांग्रेस के काजी मोहम्मद निजामुद्दीन की जीत के कारण देवभूमि में जनसांख्यिकीय बदलाव हुआ है।
सत्ता उसकी विधानसभा
इसके साथ तमिलनाडु की एक सीट पर जो चुनाव हुआ, क्या डीएमके को इस सीट पर हार की उम्मीद थी? मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है और यहां 1 सीट पर हुए चुनाव में जैसी उम्मीद थी, वैसी ही भाजपा की जीत हुई। बिहार की बात करें तो यहां विधानसभा की 1 सीट पर हुए चुनाव में वंत सुरे की जीत हुई है। इंडी गठबंधन की तरफ से यहां से निकाले गए मोर्चे के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे हैं। वहीं पंजाब में 1 विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने आशा के अनुरूप जीत हासिल की है। क्योंकि वह यहां सत्ता में हैं।
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