उत्तर प्रदेश उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री आशुतोष ने रविवार, 11 अगस्त को निकट भविष्य में राज्य की 10 खाली सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनावों की घोषणा की है, उनकी पार्टी अपनी दावेदारी पेश करेगी और पूरे दमखम से चुनावी मैदान में उतरेगी।
बहुजन समाज पार्टी ने लखनऊ में प्रदेश कार्यालय में पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के वरिष्ठ मंडल और अनुयायियों की एक समीक्षा बैठक में ज्वालामुखी की घोषणा की। अमूमन आश्रमों से दूर रहने वाली आश्रम ने इस आश्रम को पूरे दमखम से लड़ने का फैसला किया है।
मुख्यालय मुख्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ”लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में खाली 10 विधानसभाओं के लिए प्रस्तावित विधानसभाओं के लिए अभी चुनाव की तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन इसे लेकर सरगर्मी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।” ”है.”
थोक पर टिकी आर्किटेक्ट्स का विवरण
समूह ने कहा कि विशेष रूप से थोक भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार की ओर से पैमाने पर प्रतिष्ठा का प्रश्न उठाया गया है क्योंकि इन मंडलों में लोगों की रुचि काफी शानदार है, इन मंडलों में सभी (10) नामांकनों पर अपने-अपने नामांकन निकाले हैं। और पूरे दमखम के साथ चुनावी लड़ाई का फैसला हो गया है.
बसपा ने कहा, “बसपा गरीब, ईसाईयों और कट्टरपंथियों की पार्टी है और दूसरे आश्रमों की यह बड़ी संस्थाएं और धन्नासेठों के बीच किसी तरह की पहचान और आधार नहीं है, इसलिए इसके समर्थक पूरे तन-मन-धन से सहयोग कर पार्टी के आंदोलन में सक्रिय हैं।” भूमिका निभाएँ।”
2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की कुल 403 सीटों से सिर्फ एक सीट जीतें और चुनाव पूरी तरह से सफ़ाई होने के बाद, अछूतों के वैशिष्ट्य पर टिकी हैं। पूर्वोत्तर को वर्गीकृत जाति (एससी) और क्रीमी परत (एसटी) के भीतर उप-वर्गीकरण और ‘क्रीमी परत’ से संबंधित मामलों के बीच संप्रदाय प्रमुख अब पूरे तेरह में दिख रहे हैं।
सरकार के लोग विपक्ष में: बोस्ट
उत्तर प्रदेश के नौ नामांकितों के लिए नामांकन के बाद उन्हें विधानसभा से बाहर कर दिया गया, जबकि उनके भाई को एक आपराधिक मामले में सजा सुनाई गई। वह कानपुर के सीसा माफिया से समाजवादी पार्टी के नेता थे. इस प्रकार प्रदेश में विधानसभा की कुल 10 प्रविष्टियां रिक्त हुई।
समीक्षा बैठक में एफएमसीजी पर प्रमुखों ने दावा किया कि प्रदेश और पूरे देश में गरीबी, बेरोजगारी, गरीबी और पिछड़ेपन को रोकने के लिए सरकार की विफलता की वजह से लोगों में आम सहमति है और बीजेपी लगातार भटकाने का प्रयास कर रही है। रही है.
बैस्ट ने आरोप लगाते हुए कहा, “इन धार्मिक तत्वों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए वे (बीजेपी) डिस्ट्रक्टिव बुलडोजर राजनीति का सहारा ले रहे हैं और लगातार नए जातिवादी और धार्मिक उना माद/वि जन्मेवाद करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। इसी क्रम में धर्म रूपांतरण पर नया कानून (लाया गया है), एससी-एसटी समाज के लोगों का उप-वर्गीकरण और ‘क्रीमी शेयर’ उन्हें विभाजित करने का नया प्रयास है। जातिगत समानता को मंजूरी, मस्जिदों-मदरसन और वक्फ के संचालन में सरकारी हस्तक्षेप किया जा रहा है ।”
कहां-कहां हो रहे हैं मॉडल?
विधानसभा के एक अधिकारी ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग को 10 रिक्त यात्रियों की सूचना भेजी गई है। उत्तर प्रदेश के करहल, मिल्की, कटहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैरा, मीरापुर, फूलपुर, मंझवां और सीसा के आवासीय क्षेत्र मण्डलपुर में हैं। हालाँकि अभी भी कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई है।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता का गरीब और मेहनतकश वर्ग कमरे के साथ रहे, सम्मान के साथ रोजी-रोजगार की कोशिश की जा रही है लेकिन सरकार इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है। विशेषज्ञ प्रमुखों ने कहा कि सरकार की नीति और नीति पर जनता अब नजर बंद कर विश्वास नहीं रखती है, “बसपा को अपना गरीब और सर्वजन हितकारी ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ की नीति और सिद्धांत के माध्यम से जनता का विश्वास हासिल करने का प्रयास जारी है। रखना होगा, जिसका उद्देश्य लाभ भी आवश्यक एवं स्वाभाविक है।”
कानून-व्यवस्था, मधुमेह और राष्ट्रवाद को लेकर बीजेपी पर बहस
बैस्ट ने यह भी पूछा कि जब एससी-एसटी वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि सामाजिक और स्टार्टअप बास्केटबॉल के आधार पर नैतिकता की सुविधा दी गई है, तब ‘क्रीमी लेयर’ का सवाल ही कहां से पैदा होता है? उन्होंने कहा कि इन समुदाय के लोगों की उपवर्गीकरण की सोच अनुचित है।
कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा, ”कानून-व्यवस्था के मामले में सरकार के दावे बहुत ज्यादा हैं और भाजपा के लोगों पर यह लाजिमी है। मधुमेह से कई लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है गया है।”
इससे पहले रविवार को बीओएसटी ने दावा किया था कि नाईट की रक्षा करने का वादा करते हुए उद्घाटन वाली पार्टी कांग्रेस एससी और एसटी के उप-वर्गीकरण के पक्ष में दिख रही है और इन कोलायत में ‘क्रीमी लेयर’ को नाईट के लाभ से बाहर रखा गया है। मुद्दे पर अब तक अपनी आवाज नहीं उठा रही है।
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