कभी जिस घड़ी का ईजाद चाचा शरद शरद ने किया था, अब वो घड़ी उनके हाथ से चिपकी हुई है, अजित अजितरे के पास चली गई है। फैसला सुप्रीम कोर्ट का है तो किसी भी तरह के शक-सुबहे की भी इजाजत नहीं है और बताया गया है कि असली वाली लड़कियां तो अजिता के पास ही हैं। अब महाराष्ट्र चुनाव में चाचा की घड़ी के साथ अजित अजित क्या हैरान कर रहे हैं, ये तो वोट के नतीजे ही तय होंगे, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कि चाचा के हाथ से फ्रीकर जो घड़ी के साथ अजित अजित के हाथ में हैं, वो घड़ी में हमेशा 10 बार 10 मिनट ही क्यों होते हैं?
तारीख थी 15 मई 1999. तब कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी. उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें मुख्य विपक्ष ने इस बात को दोहराया था कि अगर सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को भाजपा ने उठाया। चुनाव यदि वस्तु बनाई गई तो इसका कांग्रेस के प्रदर्शन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। सवाल का सबसे पहले जवाब दिया अर्जुन सिंह ने, सोनिया गांधी को राष्ट्र माता कहा। फिर एके एंटनी से लेकर लैब नबी आजाद और अंबिका सोनी तक ने कहा कि सोनिया गांधी के विदेशी मूल का कोई सामान नहीं है।
लेकिन सोनिया गांधी के करीबी नेता पी.ए. संगमा इस बात से सहमत नहीं थे. मिर्ज़ा के संस्थापक शरद पुरालेख ने अपनी आत्मकथा ऑन माई टर्म्स में बनाई है-
”पीए संगमा को सोनिया गांधी का बहुत ही अजीब उदाहरण दिया गया था, लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सोनिया गांधी के विदेशी मूल का विषय चुनाव में एक बड़ा अवशेष होगा।”
शरद के अनुसार तारिक सत्य भी पीए संगमा से सहमत थे. वहीं शरद पवार ने कहा-
”विपक्ष विदेशी मूल के प्रश्न को वंचित नहीं बनाएगा, ये अलगाव हमारी भारी भूल होगी।”
इस पूरी बातचीत के बाद बिना सोनिया गांधी के अंतिम अध्यक्ष के कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक तो खत्म हो गई, लेकिन कांग्रेस का गठन बाहर नहीं हुआ। अगले दिन यानि कि 16 मई 1999 को शरद पवार, तारिक अली और पीए संगमा नेसोनिया गांधी को पत्र लिखा कि संविधान में संशोधन के माध्यम से यह तय किया जाना चाहिए कि भारत के राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री को भारत में एक स्वाभिमानी भारतीय नागरिक बनना चाहिए। शरद शरद अपनी आत्मकथा में शामिल हैं-
”जैसे इस पत्र में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में उद्बोधन दिया गया, हम तीन लोगों को छह-छह साल से पार्टी से बाहर कर दिया गया है।”
फिर 25 मई को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की एक बैठक दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित की गई, जहाँ इन तीनों ने ही नेताओं को पद से हटा दिया। तो इन तीनो ही लीडर्स ने मिलकर एक नई पार्टी बनाने का फैसला लिया। इसके लिए 10 जून 1999 को मुंबई के सम्मुखखंड हॉल में एक बैठक बुलाई गई और तय किया गया कि नई पार्टी का नाम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी कि दोस्त होगा। पार्टी ने चुनाव आयोग से चुनाव निशान के लिए खास तौर पर चरखा मांगा था, लेकिन चरखा चुनाव निशान के कामराज और एस निजलिंगप्पा के नाम पर कांग्रेस संगठन का नाम था। ऐसे में चुनाव आयोग की ओर से घड़ी का निशान अंकित किया गया। उस घड़ी में 10 किले 10 मिनट हो रहे थे और बकौल शरद पवार अपनी पार्टी की पहली बैठक 10 जून को 10 किले 10 मिनट पर ही शुरू हुई थी, तो यही उनका चुनाव बन गया।
अब करीब 25 साल बाद शरद पवार के चुनाव में अपनी अलग पहचान बन गई है और अब उस चुनाव के मुखिया शरद पवार के सहयोगी अजिताजित हैं, जो महाराष्ट्र के चुनाव में उसी घड़ी के चुनाव निशान का इस्तेमाल करेंगे, जो उनके चाचा ने 10 जून को किया था। 1999 को 10 मिनट पर 10 मिनट पर विराम था।