महाराष्ट्र चुनाव तिथियां 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों के बाद अब डेमोक्रैट में डेमोबाइक के नाम की शुरुआत हो गई है। लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद अब यूक्रेन के राष्ट्रपति शरद पवार की नज़र महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर टिकी हुई है। चुनाव आयोग ने जब से तारीखों का खुलासा किया है तब से शरद पूर्णिमा के आसपास काफी भीड़ देखने को मिल रही है। यहां लोग टिकट के लिए लाइन में लगे होते हैं। इस बीच सहकर्मी ने शरद सहकर्मियों से मुलाकात की। यह मुलाक़ात इसलिए हुई क्योंकि श्रीनिवास के बेटे युगेंद्र के बेटे शरद पवार के दोस्त (एसपी) के टिकट पर चुनावी लड़ाई के बड़े प्लान पर काम कर रहे हैं।
सीट को लेकर कांग्रेस बैकफुट पर
अभी महाराष्ट्र डेवलपमेंट अघाड़ी की सीट तो फाइनल नहीं हुई है, लेकिन 2019 की शुरुआत में पार्टी के टिकट पर शरद की पार्टी कम से कम 50वीं सीट पर फिर चुनावी मैदान में उतरेगी। हालाँकि उनकी पार्टी में बहुमत भी शामिल हो सकता है, क्योंकि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद एमवी में सीट छोड़ने को लेकर कांग्रेस बैकफुट पर है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद इंडिया अलायंस के समर्थकों ने भी कांग्रेस को महत्व दिया। ऐसा बताया जा रहा है कि शरद फिल्म के चयन के लिए खुद का साक्षात्कार भी लिया जा रहा है, लेकिन बारामती सीट के लिए साक्षात्कार नहीं हो रहा है।
इस सीट पर शरद पूर्णिमा की बड़ी तैयारी
बारामती वह सीट है जहां पर अब विपक्ष के बाद विधानसभा चुनाव में हाई वोल्टेज म्यूजिक होने वाला है। यह भी पक्का माना जा रहा है कि बारामती सीट से शरद पावर के सहयोगी अजीत चुनाव लड़ने वाले हैं। बारामती परिवार का गढ़ है. एस टाइम यहां की नोकझोंक सीट शरद पवार के पास और सीट अजित पवार के पास हुई थी। बाद में शरद पवार ने बारामती की विरासत बेटी सुप्रिया सुले को तेरहवीं दी।
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया, जिसकी वजह से अजित पवार पहले से ही कमजोर हैं। अब एक बार फिर से निवेशकों के लिए शरद पवार ने बड़ा प्लान तैयार किया है। बताया जा रहा है कि अजित ने अपने साधु सूदखोर यादव के खिलाफ टिकट का प्लान बनाया है।
निवेशकों की कट के लिए आउटलेट्स टाउनशिप में
यादव के पिता सक्रिय पावर और अजित पारे साधु भाई हैं। शरद पावर ऑफर की कट के लिए शेयरधारकों को शेयरधारकों की सूची में शामिल किया जा रहा है। ज़ेन यादव ने कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन चुनाव बट सुप्रिया सुले के लिए काफी प्रचार किया गया, जिससे अजीत राइटर का नुकसान हुआ। इस दौरान किसानों को बारामती में अपना जनाधार बढ़ाने का अवसर भी मिला, विधानसभा चुनाव में लाभ मिल सकता है।
ये भी पढ़ें: ‘संसद भी हमारी, हवाई सुरक्षा भी हमारी’, वक्फ बोर्ड संपत्ति मामले पर असम के एआईयूडीएफ प्रमुख का बड़ा बयान