Pager can be blow then why EVM cant be hacked Elections commission gave the answer

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ईवीएम पर चुनाव आयोग: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। महाराष्ट्र के चुनाव के एक चरण में पूरे होंगे तो पूर्वोत्तर में झारखंड के चुनाव के दो चरण पूरे होंगे। तारीखों के ऐलान के साथ चुनाव आयुक्त से ईवीएम को लेकर भी सवाल उठाए गए। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हरियाणा चुनाव के दौरान जो भी वोटर आए हैं, वह अपना जवाब देंगे।

चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि वह ईवीएम से जुड़ी हर एक याचिका का जवाब देंगे और बताएंगे। उन्होंने कहा कि ईवीएम का इस्तेमाल एक बार नहीं बल्कि कई बार जांचा जाता है। सुपरमार्केट की कमीशनिंग जब होती है तो समसामयिक बैटरी स्टॉक डाला जाता है। मतदान होने से 5-6 दिन पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में चुनाव चिह्न लगाए गए हैं। इसी के साथ नई बैटरी कास्ट चलती है. एजेंट बैटरी पर हस्ताक्षर करते हैं, जहां नासिका होती है, वहां तीन तिहाई नासिका होती है।

ऐसा क्यों नहीं हो सकता है?

चुनाव आयुक्त ने पेजर हैक होने जैसे मेमोरियल की तुलना से करने को लेकर भी उत्तर दिया। चुनाव आयुक्त ने कहा कि पेजर एक ऐसा घोटाला है, जिसमें बैटरी से जुड़ी हुई चीजें होती हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में बैटरी अलग होती है। कुछ लोग तो ये भी बोल देते हैं कि पेज अगर कोई भी उड़ा सकता है तो नोकिया को हैक क्यों नहीं किया जा सकता? इन लोगों को यह समझने की जरूरत है कि पेज किरकनेक्ट होता है और कोई भी चीज कनेक्टेड नहीं होती है। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की पोलिंग एजेंट की जांच में तीन स्तरों पर जांच की गई है कि किसी भी तरह की गड़बड़ी का कोई चांस नहीं हो सकता है।

एकल यूज़ बैटरी का उपयोग किया जाता है

चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि मतदान के 5 से 6 दिन पहले भी मोके की कमिशनिंग हुई थी और उसी दौरान बैटरी मशीन के अंदर के डार्ट्स को नष्ट कर दिया गया था और पार्टी के सिंबल को भी हटा दिया गया था। इस प्रक्रिया के बाद मशीन को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है। उन बैटरियों पर उम्मीदवार के एजेंट हस्ताक्षर करते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मशीन की बैटरी किसी आम की बैटरी जैसी नहीं होती। कमीशनिंग के बाद मशीन को स्ट्रांग रूम में रखा जाता है और उस पर दो लॉक लॉक दिए जाते हैं यहां तक ​​की तीन लेयर की शुरुआत भी होती है।

हर मोस्ट को रिकॉर्ड करके रखा जाता है

जब भी मोनिका पोलिंग बूथ पर वोटिंग के लिए जाती है तो इसी प्रक्रिया को जोड़ा जाता है और उसकी वीडियोग्राफी भी होती है। हर मशीन का नंबर होता है और वह मशीन जिस बूथ पर जाती है उसमें यह सब बताया जाता है और उसका रिकॉर्ड भी रखा जाता है। किसी के साथ-साथ पोलिंग एजेंट को पोलिंग बूथ पर मशीन में वोट मॉड्यूल भी दिखाया जाता है।

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