भारतीय वीडियो गेम क्षेत्र सरकार से वीडियो गेम और असली पैसे वाले गेम के लिए अलग-अलग नीतियाँ बनाने का आग्रह कर रहा है। वीडियो गेम और ईस्पोर्ट्स उद्योग की सत्तर कंपनियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्री को एक प्रतिनिधित्व पत्र प्रस्तुत किया है, जिसमें निष्पक्ष और न्यायसंगत विनियमन को बढ़ावा देने के लिए इन श्रेणियों को अलग करने का अनुरोध किया गया है।
आउटलाइयर गेम्स के संस्थापक और सीईओ तथा इस प्रस्तुति के आयोजक हरीश चेंगैया कहते हैं, “भारतीय वीडियो गेम उद्योग (जो विशुद्ध रूप से मनोरंजन-उन्मुख डिजिटल गेम से बना है, जिसमें मौद्रिक दांव का कोई तत्व नहीं है) का मूल्य 2024 में 942 मिलियन डॉलर होगा। अनुमान है कि 2029 तक यह 1.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो सभी भारतीय फिल्म उद्योगों के संचयी राजस्व को पार कर जाएगा और इस दशक के अंत से पहले भारत में सबसे बड़ा मनोरंजन उद्योग बन जाएगा।”
चेंगैया ने कहा, “हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह वीडियो गेम के प्रति एक संतुलित और सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाए, क्योंकि उनमें भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था और सॉफ्ट पावर आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने की निश्चित क्षमता है। नीतिगत चर्चाओं में शामिल होने के कई अनुरोधों के बावजूद, हमें कभी भी दर्शकों का मौका नहीं मिला। हमें उम्मीद है कि कम से कम अब हमें वीडियो गेम की अनूठी परिस्थितियों पर विचार-विमर्श करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा जो वास्तविक पैसे वाले खेलों से बहुत अलग हैं।”
क्या हैं सिफारिशें?
द्वारा देखे गए एक पत्र में एबीपी लाइवउद्योग ने विकास में तेजी लाने तथा भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक लक्ष्यों में योगदान देने के उद्देश्य से कई सिफारिशें की हैं।
प्रमुख सुझावों में शामिल हैं:
- नीतिगत भेद: स्पष्ट विनियमन के लिए “वीडियो गेम” को “असली पैसे वाले गेम” से अलग करें।
- मीडिया प्रतिनिधित्व: वास्तविक धन वाले खेलों पर चर्चा करते समय मीडिया को वीडियो गेम की छवियों का उपयोग करने से रोकें।
- विनियामक सुव्यवस्थितीकरण: वीडियो गेम के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को नोडल एजेंसी नियुक्त किया जाए, एक एवीजीसी-एक्सआर विंग की स्थापना की जाए तथा एक नोडल अधिकारी नामित किया जाए।
- समय से पहले विनियमन से बचें: वीडियो गेम उद्योग पर बहुत जल्दी नियम लागू करने से बचें।
- मूल आईपी के लिए समर्थन: मूल बौद्धिक संपदा के सृजन और स्वामित्व को प्रोत्साहित एवं समर्थन प्रदान करना।
- कौशल विकास: खेल विकास शिक्षा के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और समर्थन को बढ़ाना।
- शैक्षिक सुधार: खेल विकास और ईस्पोर्ट्स में उच्च शिक्षा के लिए मानक और रूपरेखा तैयार करना।
- बाज़ार पहूंच: अंतर्राष्ट्रीय वीडियो गेमिंग आयोजनों में भारतीय प्रतिनिधिमंडलों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- आयात शुल्क में ढील: विकास हार्डवेयर के लिए आयात शुल्क को युक्तिसंगत बनाया जाएगा तथा सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा।
- कर प्रोत्साहन: वीडियो गेम्स के लिए जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत किया जाए।
नोडिंग हेड्स गेम्स (राजी: एन एनशिएंट एपिक), डॉट9 गेम्स (एफएयू-जी: डोमिनेशन) और सुपरगेमिंग (इंडस बैटल रॉयल) जैसे उल्लेखनीय भारतीय गेम डेवलपर्स द्वारा हस्ताक्षरित पत्र, नीति सुधारों की मांग में उद्योग के एकजुट मोर्चे को रेखांकित करता है।