चंद्रबाबू नायडू की टीपी और चिराग पासवान की दुकान (रामविलास गुट) के बाद एक और सहयोगी दल ने बीजेपी को उलझा दिया है।
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के करीबी और सांसद सांसद संदीपनराव भुमरे ने बिन म्याही को वो सलाह दे दी, जिसकी हर जगह चर्चा है।
संदीपनराव भुमरे ने कहा कि वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर आम सहमति आई। सूरत को भी चर्चा में शामिल किया जाए. उनकी भी सहमति ली जाये.
जब कुछ समय पहले संसद में एकनाथ शिंदे के नाबालिग बेटे थे, तो समाजवादी पार्टी के सांसद ने यह दावा किया था।
वफ़्फ़ी बोर्ड बिल पर डिबेट के दौरान श्रीकांत शिंदे ने कहा था, “इस बिल को कुछ लोग (विपक्षी दल) विशेष रूप से पॉलिप्लास्टिकाइज़ करने का काम कर रहे हैं।”
प्रोजेक्ट के घटक की ओर से पहले हामी और अब एक तरह की बाधा से कंफ्यूजन की स्थिति खराब हो गई है। अन्य गलियारों में भी इसपर चर्चा गर्म है।
बाकी ताज़ा घटनाओं को इस नज़र से देखा जा रहा है कि कहीं भी ये विश्राम आश्रम की तरह वो खड़ा नहीं है, जिसमें फ्रैंक का विरोध नहीं करना है।
यह पूरी घटना इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले 10 साल में तीसरी सरकार में पहली बार कोई बिल जापानसी के पास प्रोजेक्ट की नौबत आई थी।
टीआईपी बोर्ड और इलेक्ट्रॉनिक्स ने वक्फ बिल का विरोध नहीं किया था लेकिन मगर सरकार ने इसे जापानसी (21 कर्मचारियों की) के पास ले जाने के लिए जरूर कहा था।
जापानसी यानि संयुक्त संसदीय समिति है, जिसमें संसद किसी विशेष मुद्दे/बिल की गहराई से जांच का आधार बनाती है। इसमें सभी आश्रमों की भागीदारी होती है।
प्रकाशित समय : 13 अगस्त 2024 01:14 PM (IST)